tag:blogger.com,1999:blog-6204808483914857806.post2706792045174457065..comments2023-06-05T07:56:36.616-07:00Comments on अनुभूतियाँ: क्या गिला करना भलाप्रताप नारायण सिंह (Pratap Narayan Singh)http://www.blogger.com/profile/08654132523168281005noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-6204808483914857806.post-13372565940774125022009-04-27T22:05:00.000-07:002009-04-27T22:05:00.000-07:00"दर्द बढ कर फुगा न बन जाए......"...अवसाद का शनैः..."दर्द बढ कर फुगा न बन जाए......"...अवसाद का शनैः शनैः क्षोभ में बदलना दिखाती कविता....वैसे यह शैली बहुत ज्यादा समझ नहीं पाता मै !अभिषेक आर्जवhttps://www.blogger.com/profile/12169006209532181466noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6204808483914857806.post-6414052435613548372009-04-26T01:16:00.000-07:002009-04-26T01:16:00.000-07:00खून से काली पड़ीं जो, बाम की उन सीढियों पर
फिर से ...खून से काली पड़ीं जो, बाम की उन सीढियों पर<br />फिर से गर होता ज़बह मज़लूम, छोडो रोकना क्या <br /><br />बहुत ही प्रभावी ग़ज़ल है पूरी की पूरी..............हर शेर लाजवाबदिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.com