कितना फर्क है
"तुममें" और "हममें"
यूँ तो हैं दोनों
एक ही मिट्टी से बने,
पर
तुम्हारे बदन पर
कभी पसीने नही आते
और हम हैं कि
सदा पसीने में ही नहाते
तुम्हे परेशान करते हैं
व्यापार के घाटे
हमें बेधती हैं
भूख से
बिलबिलाती आंतें
तुम्हे पीड़ा देता है
तुम्हारी कार का
खराब पड़ा
वातानुकूलन यन्त्र
हमें सताती है
हमारे पैरों में उभरते
छालों की जलन
हमारे पसीने से उगे अनाज
तुम मजे से खाते हो
और हम
अपने ही उगाये दानो को
तरस जाते हैं
तुम कितनी आसानी से
निगल लेते हो
दूसरों के
रक्त से सनी रोटी
हमें संकोच होता है
भर पेट खाने में
अपने ही पसीने से
सनी रोटी
तुम अपने कुत्तों को भी
गर्म कपडे पहनाते हो
और हमारे बच्चे
घुटनों को
पेट में धंसाकर सो जाते हैं
बहुत फर्क है
तुममे और हममें
यह फर्क बस
जीवन के साथ चलता है
पर अंततः
एक दिन करवट बदलता है
दोनों
एक ही श्मशान पर जलाये जाते हैं
दोनों का ही शरीर,
मुट्ठी भर राख में बदलता है
गुरुवार, 15 जनवरी 2009
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