दिल लगाने से हम तो डरते हैं ।
ग़म उठाने से हम तो डरते हैं ।
कुछ भरम दिल के टूट ना जाएँ ,
आज़माने से हम तो डरते हैं ।
कब किसी बात का हो अफ़साना,
इस ज़माने से हम तो डरते हैं ।
फिर रुला दें तुझे न वे नग्में,
गुनगुनाने से हम तो डरते हैं ।
हो न जाओ सनम कहीं रुस्वा,
पास आने से हम तो डरते हैं ।
ग़म उठाने से हम तो डरते हैं ।
कुछ भरम दिल के टूट ना जाएँ ,
आज़माने से हम तो डरते हैं ।
कब किसी बात का हो अफ़साना,
इस ज़माने से हम तो डरते हैं ।
फिर रुला दें तुझे न वे नग्में,
गुनगुनाने से हम तो डरते हैं ।
हो न जाओ सनम कहीं रुस्वा,
पास आने से हम तो डरते हैं ।
इतना अच्छा लिखते हें पर कोई टिपण्णी नहीं ...पाठकों का अकाल है
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