गुरुवार, 10 मई 2012

मेरी सुबह- दो रंग

एक -
सुबह बहुत चमकीली हो जाती है
जब रात भर
मेरी पलकों में डोलती तुम्हारी मुस्कराहट
आँखें खुलने पर
रश्मि-पुंजों सी
धरती से अम्बर तक खिंच जाती है

सुबह बहुत संगीतमय हो जाती है
जब रात भर
मेरे कानों में गूँजती तुम्हारी खिलखिलाहट
आँखें खुलने पर
गौरैया सी
क्षितिज की शाख पर चहचहाती है  

सुबह बहुत रंग मय हो जाती है
जब रात भर
मेरे हिय-उपवन में लहलहाती तुम्हारी ख़ुशी
आँखें खुलने पर
बहुरंगी पुष्पों सी
मेरे द्वार की क्यारियों में खिल जाती है
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दो-

सुबह बहुत रागमय हो जाती है
जब रात भर
मेरे उर-प्रान्त में झरती तुम्हारे चेहरे की स्निग्धता
आँखें खुलने पर
ओस की बूँदों सी
मेरे अहसास के पत्तों पर बिखर जाती है

सुबह बहुत सुवासित हो जाती है
जब रात भर
मेरे चाह की साँसों में घुलती तुम्हारी सुगंध
आँखें खुलने पर
मलयज सी
मेरे अंतर और वाह्य को महकाती है  

सुबह बहुत मादक हो जाती है
जब रात भर
मेरे उर-भित्तियों पर चित्रित होती तुम्हारी देहाकृति
आँखें खुलने पर
चाँद सी
मेरे कामना-सिन्धु पर झुक जाती है
.

12 टिप्‍पणियां:

  1. जीवन का सारा माधुर्य जहाँ से अपना उत्स पाता हो,जिसे पा मन का राग बहने को आकुल हो जाता हो,वह रागिनी उर-तंत्री में अनायास ही बजती है - वही है कवि का अभिप्रेत!

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  2. किसी का साथ इतने राग दे , वह तो उदित सूर्य सा ही पावन होगा , और चाँद की निःसृत धवल चाँदनी की तरह शीतल

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  3. सुबह बहुत संगीतमय हो जाती है
    जब रात भर
    मेरे कानों में गूँजती तुम्हारी खिलखिलाहट
    आँखें खुलने पर
    गौरैया सी
    क्षितिज की शाख पर चहचहाती है
    ..bahut sundar chahchati-muskarti sundar prempagi rachna..

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  4. बहुत बेहतरीन व प्रभावपूर्ण रचना....
    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

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  5. बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति....शब्दों और भावों का बहुत सुन्दर संयोजन...

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  6. सुंदर कविता प्रेम के रंग लिए..

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  7. एक- एक शब्द बोल पड़े हैं । धन्यवाद ।

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  8. सुन्दर....
    बहुत सुन्दर रचना...................
    प्यारी सी अभिव्यक्ति....

    अनु

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